छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी देसी डिशेस का ट्रेंड
लेखक: India Zee News | दिनांक: 25 नवंबर 2025
भारत के त्योहार और मेले परंपरागत व्यंजनों के त्योहार भी होते हैं। खासकर बिहार और उत्तर बिहार के प्रसिद्ध छठ पूजा और सोनपुर मेला में जहां लोग स्नेह और श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, वहीं इन त्योहारों के दौरान मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसे पारंपरिक देसी पकवानों का चलन तेजी से बढ़ा है। इस साल भी इन स्वादिष्ट व्यंजनों ने अपनी अलग पहचान बनाई है और हर उम्र के लोग इसे खाने का मज़ा ले रहे हैं।
छठ पूजा और सोनपुर मेला: एक सांस्कृतिक और पाक उत्सव
छठ पूजा बिहार का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसी दौरान सोनपुर मेला भी लगता है, जो देश के सबसे बड़े पशु मेले में से एक है। इस मेले में देश भर से लोग आते हैं और दिव्य वातावरण के साथ-साथ स्थानीय खाने का आनंद भी उठाते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में मशरूम पकोड़ा और लिट्टी-चोखा का खास महत्व है जो त्योहारों के स्वाद को ओर बढ़ा देते हैं।
मशरूम पकोड़ा, जिसमें ताजा मशरूम को मसालों के साथ मुलायम घोल में डुबोकर तला जाता है, बिहार के कई क्षेत्रों में बहुत पसंदीदा है। वहीं, लिट्टी-चोखा अपने सादे स्वाद और पौष्टिकता के कारण हर घर में बनाया जाता है। यह व्यंजन खासकर त्योहारों पर भुना हुआ सत्तू और आलू की चटनी के साथ खाया जाता है, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।
मशरूम पकोड़ा: छठ पूजा का नया ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में मशरूम पकोड़ा ने छठ पूजा व्यंजनों में अपनी जगह बना ली है। मशरूम की पौष्टिकता और उसका हल्का स्वाद इसे त्योहार के दौरान खाने वाला परफेक्ट स्नैक बनाता है। स्थानीय बाजारों में भी मशरूम पकोड़ा की डिमांड में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
मशरूम पकोड़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले और तला हुआ पकोड़ा दोनों ही लोगों को आकर्षित करते हैं। यह न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। साथ ही, यह व्यंजन शाकाहारी लोगों के लिए भी उपयुक्त विकल्प है।
परंपरागत लिट्टी-चोखा: बिहार की शान
लिट्टी-चोखा को बिहार का पारंपरिक व्यंजन माना जाता है। यह व्यंजन चावल और गेहूं पर आधारित अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में बेहद पौष्टिक और सरल होता है। सत्तू से भरी हुई लिट्टी को घी के साथ गरमागरम परोसा जाता है और इसे ताजा आलू, बैंगन, या टमाटर के चोखा के साथ खाया जाता है।
छठ पूजा के दौरान लिट्टी-चोखा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ उपवास के नियमों का भी पालन करता है। इसका अगाध सांस्कृतिक महत्व भी है जो इसे हर घर में त्योहार की याद दिलाता है।
ट्रेंडिंग फूड्स के बीच परंपरागत स्वाद
आज के दौर में जहां फास्ट फूड्स और विदेशी व्यंजन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, वहीं छठ पूजा और सोनपुर मेले जैसे त्योहारी आयोजनों में देसी और पारंपरिक व्यंजनों की लोकप्रियता बनाए रखना एक सुखद संदेश है। लोगों में अपने रिवाजों और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिसके चलते मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी डिशेस न सिर्फ बच्चों और बुजुर्गों में बल्कि युवाओं में भी प्रिय बनती जा रही हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कई फूड स्टालों और होम शेफ ने इन व्यंजनों में नए प्रयोग किए हैं, जिससे स्वाद और भी बेहतर हुआ है। उदाहरण के लिए, लिट्टी बनाते समय सूखे मसालों के साथ-साथ ताजा हर्ब्स का इस्तेमाल, या मशरूम पकोड़ों में अलग-अलग चटनी के विकल्प शामिल करना शामिल है।
स्वस्थ और स्वादिष्ट: त्योहारों का सही मेल
छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा और लिट्टी-चोखा जैसी डिशेस का ट्रेंड यह भी दिखाता है कि आधुनिक खानपान के बावजूद पारंपरिक व्यंजनों की पौष्टिकता को लोग महत्व दे रहे हैं। ये व्यंजन ताजगी और स्वास्थ्य दोनों का मेल प्रस्तुत करते हैं और त्योहारों के अवसर पर परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं।
इस सर्दी में जब लोग गर्म और पौष्टिक खाने की खोज में हैं, वहां ये व्यंजन स्वादिष्ट विकल्प के रूप में चमक रहे हैं। साथ ही, पर्यावरण के अनुकूल स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल इन्हें और भी खास बनाता है।