हरियाणा के हिसार में पुलिस की बर्बरता से 14 वर्षीय गणेश की मौत, न्याय के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरु
हरियाणा के जिला हिसार में वाल्मीकि समाज के 14 वर्षीय गणेश का जन्मदिन अत्यंत दुःखद घटना में बदल गया। गणेश के परिवार के लोग उसके जन्मदिन की खुशी मना रहे थे, जहाँ म्यूजिक बज रहा था, तभी पुलिसकर्मियों ने अचानक म्यूजिक बंद करने के लिए हस्तक्षेप किया। घटना तब और भयानक हो गई जब चार पुलिसकर्मी, जो स्पष्ट रूप से नशे में थे, उन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ अभद्रता की और जाति सूचक गालियां दीं। इस आपराधिक व्यवहार के बाद, और पुलिसकर्मी बुला लिए गए जिन्होंने महिलाओं समेत पूरे परिवार पर बेरहमी से हमला कर दिया।
पुलिस की हिंसा और गणेश की मौत
मारपीट के दौरान पुलिसकर्मी छत पर पहुंच गए, और वहां गणेश को छत से नीचे फेंक दिया गया। गंभीर रूप से घायल गणेश की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना से न केवल स्थानीय समाज बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया है। यह घटना समाज में पुलिस के द्वारा की जाने वाली अमानवीय हिंसा और जातिगत भेदभाव को अत्यंत दर्दनाक तरीके से उजागर करती है।
FIR न होना और न्यायिक प्रणाली की धीमी प्रतिक्रिया
घटना को 48 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की है। इससे स्थानीय लोगों के बीच न्याय की व्यवस्था पर गहरा भरोसा कम हो गया है। यह स्थिति कानून व्यवस्था की कमजोरियों और प्रशासन की कार्यप्रणाली में खामी को उजागर करती है। इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। न्याय न मिलने से समाज में पुलिस के प्रति असंतोष बढ़ेगा और यह आंदोलन देशव्यापी रूप भी ले सकता है।
समाज और संगठनों की अपील
हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति समाज के वाल्मीकि, रविदास, कबीर सहित सभी समाजों ने इस घटना की निंदा की है और हरियाणा पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इन संगठनों ने हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को निर्देश दिया है कि वे हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करें। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो न्याय के लिए दबाव बनाने और पुलिस हिंसा पर रोक लगाने में मदद करेगा।
समाज के लिए संदेश
यह घटना समाज के सभी वर्गों के लिए एक चेतावनी है कि जातिगत भेदभाव और अमानवीय व्यवहार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस और प्रशासन को जवाबदेह ठहराना अनिवार्य है। गणेश की मौत एक बड़े सामाजिक प्रश्न को जन्म देती है कि क्या राज्य में कानून व्यवस्था वास्तव में कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है या नहीं। इस दर्दनाक घटना से सबक लेकर हमें एक न्यायसंगत और समावेशी समाज के निर्माण का प्रयास करना होगा।
न्याय की मांग और आगे का कदम
मृतक गणेश के परिवार और प्रभावित समाज की मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ शीघ्र और सख्त कानून कार्रवाई की जाए। FIR तुरंत दर्ज की जाए और निष्पक्ष जांच हो। इसके अतिरिक्त, पुलिस कर्मियों के नशे में सेवाएं देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदेश सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस सुधार की दिशा में भी ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
अखिल भारतीय स्तर पर यह आंदोलन司法 के लिए एक मिसाल बन सकता है और समानता, न्याय, और इंसानियत के लिए एक मजबूत आवाज़ बनेगा।